Archive for December 2014
एहसास
हर साल की तरह यह भी चला गया.
कुछ खट्टी मीठी यादें दे गया.
कुछ मस्ती के पल तो कुछ जिम्मेदारियों का एहसास करा गया.
कभी ख़ुशी तो कभी आँखों में पानी दे गया.
अपनों और सपनों में फर्क दिखा गया.
आम सी होती ज़िन्दगी को खास बना गया.
कुछ नग़मे कुछ फ़साने और जोड़ गया.
ज़ज्बातों को मचलने की वजह दे गया.
ज़िन्दगी कितनी हसीं है ये बता गया.
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अल्फ़ाज़
अक्सर सूखे हुए होंठों से ही होती हैं मीठी बातें;
प्यास बुझ जाये तो अल्फ़ाज़ और इंसान दोनों बदल
जाया करते हैं।
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हिफाजत
तेरे प्यार की हिफाजत कुछ इस तरह की मैंने ,
जब कभी किसी ने प्यार से देखा तो नजरे झुका ली मैंने ।
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दुश्मन
मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद,
वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है।
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,
रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं ।।
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