Posted by : Unknown Wednesday, 31 December 2014

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद है शायद, 

वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते है। 

मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर, 

रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं ।।

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