Archive for July 2014

अश्कों से फ़िर भर दिया









"मेरे लिए रात ने

आज फ़राहम किया 

एक नया मरहला 

नींदों ने ख़ाली किया 

अश्कों से फ़िर भर दिया 

कासा मेरी आँख का 

और कहा कान में ...

मैंने हर एक जुर्म से 

तुमको बरी कर दिया 

मैंने सदा के लिए 

तुमको रिहा कर दिया....
Monday 28 July 2014
Posted by Unknown

ऐसी कहानी जो दिल छू जाये...

              





                 ऐसी कहानी जो दिल छू जाये....






लड़की लड़के से आखरी बार मिलने

आई है..
वो लड़के से कहती है-तुम मुझे भूल

जाओ..

मैं अब किसी और की होने

जा रही हूँ..

कल मेरी शादी है..

लड़का चुपचाप उसे देखता रहता है..

लड़की फिरकहती है-कुछ बोलोगे

नहीं..

लड़का मुस्कुराता है..और कहता है-

गौर से पढ़िए.........

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

इस झूठी दुनिया में मुझसे,

जो सच्ची मोहब्बत करता था,,

मेरे रूठने पे वो रो देता,

मेरी डांट पे भी खुश हो लेता,,

जब सारे साथ छुड़ा लेते,

चुपके से साथ वो हो लेता,,

हिम्मतवाला था यूँ तो पर,

मुझको खोने से डरता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

मुझसे मिलने की खातिर वो,

बारिश में भीगकर आता था,,

जिस रोज मैं खाना न खाऊं,

उस दिन उपवास मनाता था,,

कोई और नहीं था उसका बस,

मुझसे ही जीता-मरता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

गलती मेरी भी होने पर,

माफ़ी की गुजारिश

करता था,,

हर हाल में मैं हंसती जाऊं,

इस कोशिश में बस रहता था,,

मैं कैसे उसकी हो जाऊं,

हर पल ये सोचा करता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

मेरे लाख मना करने पर भी,

मेरा नाम जोर से लेता था,,

मेरी एक हंसी की खातिर वो,

कुछ गाने भी गा देता था,,

मेरा हाथ पकड़ दुनिया से वो,

लड़ने की बातें करता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

मुझसे मिलने से पहले वो,

दुनिया में बहुत अकेला था,,

जब पहली बार उसे देखा,

चेहरे पे दर्द का मेला था,,

मेरे साथ में थी वो बात की वो,

हरदम ही हँसता रहता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

जब नींद मुझे आ जाती थी,

वो डांट के मुझे सुलाता था,,

अपनी पगलाई बातों से,

अक्सर वो मुझे रुलाता था,,

उसका जीवन बिखरा था पर,

मेरा ख़याल वो रखता था,,

कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,

कह देना पागल लड़का था,,

कुछ मजबूरी के चलते जब,

मैंने उससे हाथ छुड़ाया था,,

उसने न कोई शिकायत की,

बस धीरे से मुस्काया था.....
Posted by Unknown

मेरे आँचल पली बढ़ी है






कैसी मुश्किल आन पड़ी है 

दिन छोटा है रात बड़ी है ।

अक्सर लोग कहा करते हैं

दुख भी सुख की एक कड़ी है ।

मेरी पीड़ा की शहजादी

मेरे आँचल पली बढ़ी है ।

मेरे मन के राजमहल में

सजधज कर इक चाह खड़ी है ।

मेरी गज़लों ने विरहा की

कैसी मूरत आज गढी है ।

फिर से मैं बेचैन हो उठी

यादों की यूँ लगी झडी है ।
Posted by Unknown

किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है







किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है;
.
. .. जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.. , आज सब मेरे पास बैठे 

जा रहे थे.. .
.
. .. कोई तौफा ना मिला आज तक.. , और आज फुल-हि-फुल दिये जा 

रहे थे.. .
.
. .. तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये.. , और आज कंधे पे कंधे 

दिये जा रहे थे.. .
.
. .. दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई.. , और आज काफिला 

बन 

साथ चले जा रहे थे.. .
.
. .. आज पता चला मुझे कि "मौत" कितनी हसिन होती है.. . कम्बख्त. 

. . हम तो युहि 'जिंदगी' जिये जा रहे थे.. . ..
Posted by Unknown

मंजिल








सुनी हैं राहे

मंजिल का पता नहीं

कारवाँ गुज़र गया

साथियों का कोई पता नहीं

किसको कहूँ अपना

रिश्तों का कोई पता नहीं

गर्दिश मैं हैं तारे

किस्मत का पता नहीं

जिंदगी हो गयी ख़त्म

मौत का कहीं कोई

पता नहीं

मंदिर मस्जिद बहुत हैं लेकिन

उस रब

का कहीं पता नही.....
Posted by Unknown

छाले






मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग...





पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे...!!
Posted by Unknown

लाशों










अपना हर एक दर्द हमने, लिख दिया, लिख

दिया

तुमने दिल जो-जो कहा, कर दिया, कर दिया

सुबह से शाम तलक और रात भर ये हुआ

सोचकर तुमको ऐ हमदम, रो दिया, रो दिया

मैं भला क्यूं जाउंगा, भीड़

भरी राहों पे

लाशों के जुलूस से मैं, डर गया, डर गया

बस्तियों से अब उजड़के आ गया तन्हाई में

इश्क के इस आशियां में, रह गया, रह गया........
Posted by Unknown

शौक






मेरी शायरी का शौक रखने वालों,


मुझे कभी आदत न बना लेना....






मैं वोह एक लहर हूँ....


जो ठहर जाने की चाहत नहीं रखता
Thursday 24 July 2014
Posted by Unknown

फ़राहम





"मेरे लिए रात ने

आज फ़राहम किया 

एक नया मरहला 

नींदों ने ख़ाली किया 

अश्कों से फ़िर भर दिया 

कासा मेरी आँख का 

और कहा कान में ...

मैंने हर एक जुर्म से 

तुमको बरी कर दिया 

मैंने सदा के लिए 

तुमको रिहा कर दिया.....
Posted by Unknown

वक़्त






गुज़र गया वो वक़्त


जब तेरी हसरत थी मुझको;


अब खुदा भी बन जाए


तो भी तेरा सजदा ना करूँ..
Posted by Unknown

पाकिस्तान & हिन्दुस्तान








मस्जिद तो हुई हासिल हमको, खाली ईमानगंवा बैठे ।


मंदिर को बचाया लढ-भीडकर, खाली भगवानगंवा बैठे ।


धरती को हमनेनाप लिया, हम चांद सितारों तकपहुंचे ।


कुल कायनात को जीत लिया, खाली इन्सानगंवा बैठे ।


मजहब के ठेकेदारोंने आज फिर हमेयुंभडकाया ।


के काजी और पंडित जिन्दा थे, हम अपनी जानगंवा 


बैठे ।


सरहद जब जब भी बंटती है,दोनो नुकसान उठाते है ।


हम पाकिस्तान गंवा बैठे,वो हिन्दुस्तान गंवा बैठ ।
Posted by Unknown

इंतज़ाम









नए सफर का नया इंतज़ाम कह देंगे

हवा को धूप चरागों को शाम कह देंगे

किसी से हाथ भी छुपकर मिलाइए वर्ना

इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
Posted by Unknown

भाग्य








'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,

'शब्द' के हाथ न पांव;

एक 'शब्द' 'औषधि" करे,

और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!

"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,

जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!

प्रभू' को भी पसंद नहीं 

'सख्ती' 'बयान' में,

इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!

प्रेषक रम्य बोरिचा
Posted by Unknown

iNshAh AlLah.









"bArBaAd kArkE uSnE pUchA, krOgE fiR 


sE moHabBat hAmsE,," 



"LaHoO--LaHoO thA DiL, mAgAr HoNtHo 


nE kAhA iNshAh AlLah.." 
Posted by Unknown

zamana






Jaane kya dikhana chahata hai ye zamana 




mujhe.. 





Gam dekar kehta hai hasna nahi ata tujhe..



 
Posted by Unknown

मोहब्बत







जब छाता है अँधेरा यादों की शम्माँ जला लेते हैं,चाह होती है दीदार की 


तुम्हे ख्वाबों में बुला लेते हैं..

हमे मालूम है अंजामे-मोहब्बत का हस्र शिद्द्त से, गुलशन के मुरझाये 


हुए फूल हाथों में उठा लेते हैं..

बुलन्दियों को छूने में पैरों की ज़मीन भी ना रही,तुम्हारे कदमों की धूलही 

हम माथेसे लगा लेते हैं..

बढ़ जाता है जब हद से ज्यादा बोझ जिंदगी का,अपनी आँखों के कुछ 

खारे सागर हम बहा लेते है..

खार ही खार बचे हैं ज़िंदगी के गुलशन में हमारे,बीती हुई यादों से अपने 

बागबान को सज़ा लेते हैं..

तेरा नाम लेने में डरते हैं लब जब आज भी मेरे,अपनी दर्द की ग़ज़लों में 

ही तुम्हे गुनगुना लेते हैं.....!!
Posted by Unknown

बारिश की बूंन्दे







बारिश की बूंन्दे, दिल को, जला रही है,कुछ बीते लम्होँ की याद, आ रही 

है..

मिलते है, जिसे हर रोज़ ख्वाबोँ मेँ,बस! हर पल उसकी याद, सता रही

 है..


कब ईद होगी, चाँन्द का दीदार होगा,मेरी भीँगी पल्केँ उसको, बुला रही 

है..

एक अक्स उसका, मन मेँ रोज़ उभरता है,उसकी हर अदा, मदहोश किए, 

जा रही है..

दम निकलने से पहले, मेरे दामन मेँ आजा,आखरी साँसेँ तेरी आगोश, 

चाह रही है.....!!
Posted by Unknown

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