Posted by : Unknown Thursday, 24 July 2014







बारिश की बूंन्दे, दिल को, जला रही है,कुछ बीते लम्होँ की याद, आ रही 

है..

मिलते है, जिसे हर रोज़ ख्वाबोँ मेँ,बस! हर पल उसकी याद, सता रही

 है..


कब ईद होगी, चाँन्द का दीदार होगा,मेरी भीँगी पल्केँ उसको, बुला रही 

है..

एक अक्स उसका, मन मेँ रोज़ उभरता है,उसकी हर अदा, मदहोश किए, 

जा रही है..

दम निकलने से पहले, मेरे दामन मेँ आजा,आखरी साँसेँ तेरी आगोश, 

चाह रही है.....!!

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