Posted by : Unknown Monday 28 July 2014







किसी शायरने मौत को क्या खुब कहा है;
.
. .. जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.. , आज सब मेरे पास बैठे 

जा रहे थे.. .
.
. .. कोई तौफा ना मिला आज तक.. , और आज फुल-हि-फुल दिये जा 

रहे थे.. .
.
. .. तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये.. , और आज कंधे पे कंधे 

दिये जा रहे थे.. .
.
. .. दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई.. , और आज काफिला 

बन 

साथ चले जा रहे थे.. .
.
. .. आज पता चला मुझे कि "मौत" कितनी हसिन होती है.. . कम्बख्त. 

. . हम तो युहि 'जिंदगी' जिये जा रहे थे.. . ..

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