Posted by : Unknown Monday, 28 July 2014






कैसी मुश्किल आन पड़ी है 

दिन छोटा है रात बड़ी है ।

अक्सर लोग कहा करते हैं

दुख भी सुख की एक कड़ी है ।

मेरी पीड़ा की शहजादी

मेरे आँचल पली बढ़ी है ।

मेरे मन के राजमहल में

सजधज कर इक चाह खड़ी है ।

मेरी गज़लों ने विरहा की

कैसी मूरत आज गढी है ।

फिर से मैं बेचैन हो उठी

यादों की यूँ लगी झडी है ।

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