Posted by : Unknown Monday, 28 July 2014








सुनी हैं राहे

मंजिल का पता नहीं

कारवाँ गुज़र गया

साथियों का कोई पता नहीं

किसको कहूँ अपना

रिश्तों का कोई पता नहीं

गर्दिश मैं हैं तारे

किस्मत का पता नहीं

जिंदगी हो गयी ख़त्म

मौत का कहीं कोई

पता नहीं

मंदिर मस्जिद बहुत हैं लेकिन

उस रब

का कहीं पता नही.....

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