Posted by : Unknown Thursday, 24 July 2014









नए सफर का नया इंतज़ाम कह देंगे

हवा को धूप चरागों को शाम कह देंगे

किसी से हाथ भी छुपकर मिलाइए वर्ना

इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे

Leave a Reply

Subscribe to Posts | Subscribe to Comments

Popular Post

Powered by Blogger.

Contributors

Followers

Search This Blog