Posted by : Unknown Wednesday, 31 December 2014


हर साल की तरह यह भी चला गया.

कुछ खट्टी मीठी यादें दे गया.

कुछ मस्ती के पल तो कुछ जिम्मेदारियों का एहसास करा गया.

कभी ख़ुशी तो कभी आँखों में पानी दे गया.

अपनों और सपनों में फर्क दिखा गया.

आम सी होती ज़िन्दगी को खास बना गया.

कुछ नग़मे कुछ फ़साने और जोड़ गया.

ज़ज्बातों को मचलने की वजह दे गया.

ज़िन्दगी कितनी हसीं है ये बता गया.

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