Archive for August 2014

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Saturday, 2 August 2014
Posted by Unknown

Kadmon









Kabi Dekha Nahi Usko Ankh Bhar Ke
'
Rubaru Hote Hi Palken Jhuk Jati Hai

Keh Do Unse Guzre Hamari Galiyon Se Aahista

Kueki Unke Kadmon Ki Aahat Se Dharkane Meri Ruk Jati 

Hai !!!
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insan


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Posted by Unknown

जिंदगी जख्मो से भरी हैं







जिंदगी जख्मो से भरी हैं वक़्त को मरहम बनाना सीख 



लो , 


हारना तो मौत के सामने फिलहाल जिंदगी से जीतना 



सीख लो...
Friday, 1 August 2014
Posted by Unknown

कलम





लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी,


पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया ।
Posted by Unknown

मौसम ने अपना मिजाज








मौसम ने अपना मिजाज आज ईस कदर जमाया है...


लगता है खुदा को रुलाने आज 


कोई आशिक उनकी महफिल मे


आया है ..!!
Posted by Unknown

मुहब्बत









ना ज़ाहिर हुई तुमसे ना बयाँ हुई हमसे,




बस सुलझी हुई आँखों में उलझी रही मुहब्बत!
Posted by Unknown

भूख ले जाती है ऐसे







''बेचता यूँ

ही नहीं है

आदमी ईमान को,

भूख ले जाती है ऐसे

मोड़ पर इंसान

को ।

सब्र की इक हद

भी होती है

तवज्जो दीजिए,

गर्म रक्खें कब

तलक नारों से

दस्तरख़्वान को ।

शबनमी होंठों की गर्मी दे

न पाएगी सुकून,

पेट के भूगोल में

उलझे हुए इंसान

को ।

पार कर

पाएगी ये

कहना मुकम्मल

भूल है,

इस अहद

की सभ्यता नफ़रत

के रेगिस्तान को''...
Posted by Unknown

कौन हूँ मैं,












कौन हूँ मैं,


अपने आप को पहचान नहीं पाई...

ना मेरा कोई वज़ूद है,

ना मेरा कोई अस्तित्व ।


मैं तो वो हूँ,

जिसने बचपन की अटखेलियाँ नहीं देखी..

वक़्त ने समय से पहले बड़ा कर दिया..

ज़िन्दगी की अनबुझ पहेलियों ने किनारा दिखाया,

वक़्त के थपेड़ों ने ज़िन्दगी सिखलाई ।


या फिर वो हूँ,

जिसने दिलों के रिश्ते टूटते देखे और

अपने आप को बिखरते देखा....
Posted by Unknown

जज़बातों







इस दुनिया के


लोग भी कितने


अजीब है ना ;


सारे खिलौने


छोड़ कर


जज़बातों से


खेलते हैं...
Posted by Unknown

दूरियाँ







नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही

मुझको मोहब्बत है' तुम से ही 

नाज़ है तुम्हें' थोड़ा ग़ुरूर मुझे

मैंने दिल लगाया है' तुम से ही

आज न पिघला तो कल पिघलेगा

यह बात हम सुनेंगे' तुम से ही

आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच

ज़रूर कल मिलेंगे' तुम से ही....
Posted by Unknown

चांद बादल







"चांद बादल बारिश सब छोडिये


क्यू ज़ाया अपनी दीद करें..


इक बार वो छत पे आ जाए


तो हम भी अपनी ईद करें."
Posted by Unknown

पत्थरों के द्वार







पत्थरों के द्वार पर माथा पटक कर देखिए

खून से ताजा सना दामन झटक कर देखिए

तोडिए मत घर किसी का, या शीशा ए दिल

तोड़ने का शौक है तो खुद चटक कर देखिए

कब मिला है राजपथ पर या प्रगति मैदान में

ज़िन्दगी का सत्य गलियों में भटक कर देखिए

खुद ब खुद अच्छे बुरे का फैंसला हो जाएगा

एक दिन अपनी ही आँखों में खटक कर देखिए

कर चुके उपभोग अति उल्लास के अवसाद का

अब किसी असहाय आँसू में अटक कर देखिए....
Posted by Unknown

“वादा-ए-वफ़ा



मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम

है,

और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको,

हुमारा ये पेघाम हैं,

“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद

को फ़ना करो,

वरना खुदा के लिए

किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
Posted by Unknown

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