Posted by : Unknown Friday, 1 August 2014







पत्थरों के द्वार पर माथा पटक कर देखिए

खून से ताजा सना दामन झटक कर देखिए

तोडिए मत घर किसी का, या शीशा ए दिल

तोड़ने का शौक है तो खुद चटक कर देखिए

कब मिला है राजपथ पर या प्रगति मैदान में

ज़िन्दगी का सत्य गलियों में भटक कर देखिए

खुद ब खुद अच्छे बुरे का फैंसला हो जाएगा

एक दिन अपनी ही आँखों में खटक कर देखिए

कर चुके उपभोग अति उल्लास के अवसाद का

अब किसी असहाय आँसू में अटक कर देखिए....

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