Posted by : Unknown Friday 1 August 2014












कौन हूँ मैं,


अपने आप को पहचान नहीं पाई...

ना मेरा कोई वज़ूद है,

ना मेरा कोई अस्तित्व ।


मैं तो वो हूँ,

जिसने बचपन की अटखेलियाँ नहीं देखी..

वक़्त ने समय से पहले बड़ा कर दिया..

ज़िन्दगी की अनबुझ पहेलियों ने किनारा दिखाया,

वक़्त के थपेड़ों ने ज़िन्दगी सिखलाई ।


या फिर वो हूँ,

जिसने दिलों के रिश्ते टूटते देखे और

अपने आप को बिखरते देखा....

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